तनहाईके आँचलमें अब भी, खुशबू भरे कुछ कांटे है|
सपनोंकी छाँवमें छुपे, कुछ नर्मसे अंगारे है|
चंद लब्जोके बीचमे कँही, अनगिनतसे मायने है|
ठहराकर वक्त कँहीपे, साथ खामोश चलते लम्हे है|
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खुश थे के खत्म हो गये, आंसू-आंहे और यादे भी,
कल अचानक लबोने पुकार लिया … तो चौंक गये |
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